भोपाल. राजधानी से 18 किमी दूर रायसेन जिले के गुदावल गांव में स्थित प्राचीन कंकाली माता मंदिर में विराजी मां काली की देश भर में अकेली एकमात्र ऐसी प्रतिमा है, जिसकी गर्दन 45 डिग्री झुकी दिखाई देती है।
150 साल से भी अधिक प्राचीन इस मंदिर से जुड़ी एक किंवदंती (मान्यता) यह भी है कि साल में सिर्फ नवरात्र के किसी एक दिन प्रतिमा की गर्दन कुछ समय के लिए सीधी होती है, लेकिन ऐसा होते किसी ने देखा नहीं है। हालांकि इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक है। नवरात्र में यहां मेले का सा नजारा रहता है। करीब सात करोड़ रुपए से इस मंदिर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है। तैयार होने के बाद यह प्रदेश का पहला अष्टकोणीय मंदिर होगा।
मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष अमरसिंह मीणा ने बताया कि मंदिर के निर्माण पर अब तक दो करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो चुके हैं। मीणा ने बताते हैं कि यूपी से एक बाबा बृजमोहनदास यहां आए थे। उन्होंने यहां कुटिया बनाई। खुदाई के दौरान यहां मां काली की प्रतिमा निकली तो बाबा ने उसे यहीं स्थापित करा दिया। वे चालीस साल से अधिक यहां रहे। इसके बाद बाबा मंगलदासजी के सानिध्य में मंदिर की व्यवस्थाएं की जा रही हैं।
10 हजार वर्गफीट के हॉल में नहीं है एक भी पिलर
मंदिर का निर्माण दानदाताओं के सहयोग से किया जा रहा है। मंदिर के सभी अष्टकोण में विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं होंगी। करीब 23 हजार वर्गफीट में मंदिर का निर्माण होना है। इसकी विशेषता यह है कि मंदिर के भीतरी हिस्से में बनाए जा रहे 10 हजार वर्गफीट के हॉल में एक भी पिलर नहीं है। मंदिर परिसर में उपवन, धर्मशाला व गोशाला बनाने की भी योजना है।
32 किमी लंबी चुनरी यात्रा निकाली जाएगी
नवरात्र के उपलक्ष्य में धनोरा गांव से लेकर गुदावल स्थित कंकाली धाम तक 32 किमी चुनरी यात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान देवी के भक्त 7 किमी पैदल और 25 किमी की दूरी वाहनों से तय कर कंकाली धाम पहुंचेंगे। यहां पर तीन हजार फीट लंबी चुनरी मां कंकाली को चढ़ाई जाएगी। यह चुनरी यात्रा समाजसेवी मनोहर मेहरा द्वारा निकाली जा रही है। इस चुनरी यात्रा का यह पांचवां साल है। सात किमी की पैदल यात्रा के बाद वाहनों से देवी भक्तों को कंकाली धाम तक पहुंचाने का निर्णय लिया गया है। चुनरी यात्रा 5 अक्टूबर को सुबह 9 बजे धनोरा गांव से प्रारंभ होगी, जो सात किमी पैदल चलने के बाद रतनपुर गांव पहुंचेगी।