मेट्रो के निर्माण में आड़े आ रही कई बाधाएं

भोपाल । राजधानी में बारह मेट्रो स्टेशनों का निर्माण यात्रियों के लिए किया जाना है। भोपाल मेट्रो के पहले सिविल वर्क के एम्स, अलकापुरी, हबीबंगज कॉम्पलेक्स, सरगम सिनेमा, एमपी नगर से सुभाष नगर अंडर पास तक निर्माण कार्य किया जाना है। दूसरे सिविल टेंडर में करोंद से कृषि उपज मंडी, डीआईजी बंगला, सिंधी कॉलोनी, नादरा बस स्टैंड, भारत टाकीज, पुल बोगदा, ऐशबाग स्टेडियम से सुभाष नगर अंडर पास को जोड़ा जाएगा।


पहले कारिडोर के तहत 14.99 किमी में करोंद से एम्स तक मेट्रो का निर्माण कराया जाएगा। राजधानी में मेट्रो संचालन के लिए भले ही सरकार तेजी से काम कर रही हो, लेकिन इनकी बाधों को अब तक दूर नहीं किया जा सका है। लिहाजा मप्र. मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि मेट्रो के निर्माण के लिए चिन्हिंत बाधाओं को जल्द दूर किया जाए। साथ ही जमीन आवंटन की प्रक्रिया भी पूरी की जाए। पत्र में यह भी खिला गया कि ऐसे कार्रवाई की गई तो 2023 तक मेट्रो संचालन कर पाना संभव नहीं होगा। मप्र मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने सिविल वर्क के टेंडर जारी करने से पहले एम्स से सुभाष नगर रूट का निरीक्षण किया था। अधिकारियों ने बोगदा पुल, सुभाष नगर अंडरब्रिज, हबीबगंज नाका, अलकापुरी बस स्टैंड और एम्स के पास बनी अवैध झुग्गियां को हटाने की सहमति दी थी, लेकिन अब तक इन्हें हटाया नहीं गया।


दूसरा रूट जो कि भदभदा डिपो चौराहे से होते हुए गोविंदपुरा इंडस्ट्रीयल एरिया जाएगा इस रूट में भी अवैध झुग्गियां बनी हुई है। कार्पोरेशन के अधिकारियों ने बताया कि कई बार मामले पर अधिकारियों को पत्र भी लिखा गया है। इसके बाद भी अवैध झुग्गियों को हटाने की कार्रवाई नहीं की गई। मेट्रो के निर्माण में सबसे बड़ी बाधा हाईटेंशन लाइन की है। इसमें डीआरएम कार्यालय के सामने, हबीबगंज स्टेशन रोड, बैरागढ़, लाल घाटी, मनुआभान टेकरी, करोंद चौराहा, मिसरोद, चूना भट्टी चौराहा और गोविंदपुरा इंडस्ट्री एरिया में बिजली की तारों का जाल फेला हुई है। 132 केवी की इन लाइन को हटाने के लिए जिला प्रशासन के निर्देश पर बिजली कंपनी ने निरीक्षण किया था। इसके बाद भी इन्हें हटाने की कार्रवाई पूरी नहीं की गई। मेदा मिल के पास मेट्रो का डिपो बनाना प्रस्तावित है। कार्पोरेशन के मांग पर यहां जिला प्रशासन ने सर्वे कर 56 एकड़ जमीन का मेट्रो को आवंटन का प्रस्ताव भी शासन को भेज दिया है। वहीं शासन से भी जमीन आवंटन की सैद्घांतिक सहमति प्राप्त हो गई है, लेकिन जमीन आवंटन की प्रक्रिया अभी अटकी हुई है। लिहाजा यहां निर्माण कार्य में देरी हो रही है।