भोपाल | बच्चों को पोषण और बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के मामले में मप्र पूरे देश में सबसे पीछे है। मंगलवार को वर्ल्ड विजन अाॅफ इंडिया एवं आईएफएमआर (इंस्टीट्यूट फॉर फाइनेंशियल मैनेजमेंट एंड रिसर्च) द्वारा जारी रिपोर्ट में यह हकीकत सामने अाई। कुपोषण और सबसे कम जीवन प्रत्याशा के चलते मप्र को इस इंडेक्स में 0.44 और झारखंड को 0.50 नम्बर मिले। इंडेक्स में केरल (0.76) टाॅप पर है। सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशाें में बच्चों का स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल अधिकार, सकारात्मक माहौल और बच्चों की सुरक्षा काे ध्यान में रखते हुए 24 इंटीकेटर्स पर यह इंडेक्स तैयार किया गया है।
मप्र के सबसे नीचे रहने की तीन वजह
आईएमआर (शिशु मृत्यु दर) : यहां प्रति एक हजार जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में से 32 मौत का शिकार हो जाते हैं। पांच साल से कम उम्र के प्रति एक हजार बच्चों में से 55 जीवित नहीं रहते। दोनों में मप्र की स्थिति बदतर है।
कुपोषण : 2016 में आए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के अनुसार कुपोषण के कारण प्रदेश के 42 प्रतिशत बच्चों का कद बढ़ नहीं पाता है। इस कारण बच्चाें के कम वजन के मामले में भी प्रदेश पहले नम्बर पर है।
अपराध : बच्चों के साथ होने वाले अपराध के मामले में भी स्थिति सबसे खराब है। बाल याैन शाेषण में भी मप्र अव्वल है। 2016 में मप्र में 4,717 बच्चियां बलात्कार का शिकार हुई थीं। इस वर्ष कुल 13,746 बच्चे किसी न किसी अपराध का शिकार बने।